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Rajasthan History Topic Wise Test 04 : प्रमुख राजवंश, गुर्जर प्रतिहार वंश

Rajasthan History

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राजस्थान राज्य में होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे RPSC (राजस्थान लोक सेवा आयोग), RSMSSB (राजस्थान अधीनस्थ एवं मंत्रिस्तरीय सेवा चयन बोर्ड), REET (राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा), पटवारी, VDO (ग्राम विकास अधिकारी), राजस्थान पुलिस, CET (सामान्य पात्रता परीक्षा), 12वीं स्तर और स्नातक स्तर की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए राजस्थान का इतिहास एक महत्वपूर्ण विषय है। यह न केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाने में मदद करता है, बल्कि राजस्थान की संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक घटनाओं को समझने में भी सहायक होता है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके लिए राजस्थान इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक क्विज लेकर आए हैं, जो पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों पर आधारित है। यह क्विज सभी उम्मीदवारों के लिए निःशुल्क है और RPSC, RSMSSB, REET, पटवारी, VDO, राजस्थान पुलिस, CET, 12वीं स्तर और स्नातक स्तर की परीक्षाओं की तैयारी में मददगार साबित होगा।

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प्रमुख राजवंश, गुर्जर प्रतिहार वंश

RAJASTHAN HISTORY GK TOPIC WISE TEST 03 : प्रमुख राजवंश, गुर्जर प्रतिहार वंश

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1. जोधपुर के निकट ओसियाँ में मंदिरों का निर्माण किस वंश द्वारा किया गया?

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2. जोधपुर के नजदीक वह स्थान जो हिन्दू एवं जैन मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है एवं जिसका निर्माण 8वीं व 12वीं शताब्दी के बीच गुर्जर-प्रतिहार वंश द्वारा किया गया है?

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3. गुर्जरों को किस शासक ने पराजित किया

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4. प्रतिहार एवं पाल शासकों पर अपनी विजय की खुशी में ध्रुव ने गंगा व यमुना के चिह्नों को सम्मिलित किया

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5. गुर्जर प्रतिहारों की राजधानी किस स्थान पर थी, जो जालौर में भीनमाल का एक पुराना नाम था?

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6. गुर्जर प्रतिहारों की राजधानी कौनसी थी ?

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7. कन्नौज पर अधिकार हेतु चले त्रिपक्षीय युद्ध राजपूताना के किस वंश के शासकों ने भाग लिया?

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8. गुर्जर प्रतिहार शासक मधनदेव कहाँ शासन करता था?

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9. प्रतिहार शिलालेखों में पदाधिकारियों का उल्लेख, यह आता है

10 / 50

10. गुर्जर-प्रतिहार, पाल एवं राष्ट्रकूट शासन केन्द्रीय राजतंत्र नहीं थे

11 / 50

11. मण्डोर शाखा के निम्न प्रतिहार शासकों का सही कालनुक्रम है

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12. प्रतिहार वंश का अंतिम शासक था-

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13. उस अरबी यात्री का नाम बताइये जिसने मिहिर भोज के समय का वृतांत प्रस्तुत किया?

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14. निम्नांकित में से किस विदेशी यात्री ने गुर्जर प्रतिहार राजवंश की सैन्य शक्ति एवं समृद्धि का उल्लेख किया है?

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15. निम्नलिखित में से कौन-सा शासक गुर्जर प्रतिहार राजवंश से संबंधित नहीं है?

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16. राजशेखर किसके दरबार में था?

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17. कौनसी पुस्तक गुर्जर-प्रतिहार वंश के मिहिर भोज द्वारा रचित नहीं है?

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18. किस प्रतिहार राजा के काल में प्रसिद्ध ग्वालियर प्रशस्ति की रचना की गई?

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19. 'आदि वराह' की उपाधि जिस राजपूत शासक ने धारण की, वह कौन था?

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20. गुर्जर प्रतिहार वंश के किस शासक ने अपने पराक्रम से गुर्जरों की प्रतिष्ठा को पुनःस्थापित किया?

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21. राजा नागभट्ट द्वितीय का संबंध निम्नलिखित में से किस राजवंश से था?

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22. प्रथम प्रतिहार शासक जिसने 'परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर' की उपाधि धारण की थी?

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23. किस राजा के वंशज गुर्जर प्रतिहार कहे जाने लगे?

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24. प्रतिहार राजा नागभट्ट प्रथम के बारे में, कौनसा कथन सही है?

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25. प्रतिहार शासक जिसने सर्वप्रथम जालौर को अपनी राजधानी बनाया, वह था?

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26. नागभट्ट प्रथम किस राजवंश से सम्बन्धित है?

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27. मण्डौर के प्रतिहार वंश से सम्बन्धित प्रारम्भिक शासक का नाम था?

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28. प्रतिहार वंश की मण्डौर शाखा के किस शासक ने अपनी राजधानी मण्डौर से मेड़ता स्थानान्तरित की थी?

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29. मंडौर के प्रतिहार शासकों में निम्नलिखित में से कौनसा व्याकरण, तर्कशास्त्र, ज्योतिष, कला और काव्य रचना में कुशल थे?

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30. प्रतिहारों की 26 शाखाओं में से, सबसे प्राचीन शाखा है?

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31. मण्डौर के प्रतिहार माने जाते हैं?

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32. मण्डौर प्रतिहार वंश के किस शासक से वंशावली प्रारम्भ होती है?

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33. प्रतिहार शासकों में 'रोहिलद्धि' के नाम से जाना जाता था?

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34. राजस्थान में प्रतिहार वंश के संस्थापक हरिश्चन्द्र की राजधानी थी?

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35. निम्न में से किसने अभिलेखों में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है? 1.नीलगुण्ड 2.देवली 3.रामनपुर 4.करहाड़

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36. आठवीं से दसवीं शताब्दी तक राजस्थान में किस राजपूत वंश का वर्चस्व रहा?

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37. 750-1000 ईस्वी के दौरान राजस्थान और अधिकांश उत्तरी भारत पर किसने शासन किया था?

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38. इतिहासकार आर. सी. मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने कितनी शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया?

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39. निम्न में से कौन-से वंश की उत्पत्ति अग्निकुंड से नहीं हुई?

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40. निम्न में से किस राजवंश ने अपना उद्गम मिथकीय 'अग्निकुण्ड' से नहीं जोड़ा है?

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41. कौनसा ग्रंथ राजपूतों की उत्पत्ति को 'अग्निकुण्ड' से सम्बन्धित करता है?

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42. निम्नलिखित में से किस विद्वान के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से हुई थी?

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43. 'पृथ्वीराज रासो' के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति हुई?

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44. राजपूतों को हूणों की सन्तान बताया हैं?

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45. 'बोचगुर्जर' नामक ताम्रपत्र के आधार पर राजपूतों को यू-ची जाति का वंशज मानते हुए इनका सम्बन्ध कुषाण जाति से किसने जोड़ा है?

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46. निम्न में से किस इतिहासकार ने राजपूतों को शक अथवा सीथियन जाति का वंशज माना है?

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47. राजपूत वैदिक आर्यों की सन्तान है, इस मत के प्रतिपादक कौन थे?

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48. भारतीय इतिहास में राजपूत वंशों का प्रभुत्व किस अवधि के दौरान था?

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49. अंग्रेजों के समय में राजस्थान को किस नाम से जाना जाता था?

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50. 'राजपूताना' नाम का प्रयोग सर्वप्रथम कब एवं किसने किया था?

Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश: राजस्थान के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय

राजस्थान का इतिहास अपने आप में गौरवशाली और विविधतापूर्ण है। यहाँ कई वंशों ने शासन किया, जिनमें से एक महत्वपूर्ण वंश था गुर्जर प्रतिहार वंश। इस वंश ने न केवल राजस्थान, बल्कि उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से पर शासन किया और भारतीय इतिहास में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। इस ब्लॉग पोस्ट में हम गुर्जर प्रतिहार वंश के उदय, शासन, संस्कृति, और पतन के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश का उदय

गुर्जर प्रतिहार वंश का उदय 8वीं शताब्दी में हुआ। इस वंश की स्थापना नागभट्ट प्रथम ने की थी। गुर्जर प्रतिहारों को प्रतिहार (रक्षक) कहा जाता था, क्योंकि उन्होंने भारत को अरब आक्रमणकारियों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मूल स्थान राजस्थान का मारवाड़ क्षेत्र माना जाता है, हालाँकि कुछ इतिहासकार उन्हें गुजरात या मध्य भारत से भी जोड़ते हैं।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश के प्रमुख शासक

1. नागभट्ट प्रथम (730-756 ई.)

नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश के संस्थापक थे। उन्होंने अरब आक्रमणकारियों को पराजित कर उत्तर भारत को उनके आतंक से मुक्त किया। उन्होंने मालवा, गुजरात, और राजस्थान के कई हिस्सों पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।

2. वत्सराज (780-800 ई.)

वत्सराज ने प्रतिहार साम्राज्य का विस्तार किया और कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने पाल वंश और राष्ट्रकूट वंश के साथ संघर्ष किया, जो उस समय उत्तर और दक्षिण भारत के प्रमुख शक्तियाँ थीं।

3. मिहिर भोज (836-885 ई.)

मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे प्रतापी शासक थे। उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार गुजरात से बिहार तक किया। उन्हें आदि वराह के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि उन्होंने वराह (सूअर) को अपना प्रतीक चिन्ह बनाया था। मिहिर भोज ने अरब आक्रमणकारियों को कई बार पराजित किया और भारत की सुरक्षा की।

4. महेंद्रपाल प्रथम (885-910 ई.)

महेंद्रपाल प्रथम ने साम्राज्य को और विस्तार दिया और कला, साहित्य, और संस्कृति को प्रोत्साहित किया। उनके शासनकाल में प्रतिहार साम्राज्य अपने चरम पर था।

5. महिपाल (912-944 ई.)

महिपाल के शासनकाल में प्रतिहार साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। उन्हें पाल वंश और राष्ट्रकूट वंश के साथ लगातार संघर्ष करना पड़ा, जिससे साम्राज्य कमजोर हो गया।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रशासन

गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रशासन व्यवस्थित और कुशल था। उन्होंने अपने साम्राज्य को कई प्रांतों में विभाजित किया, जिन्हें भुक्ति कहा जाता था। प्रत्येक भुक्ति का प्रशासन एक उपरिका (गवर्नर) के हाथों में होता था। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत प्रणाली प्रचलित थी, जो स्थानीय स्वशासन का एक उत्कृष्ट उदाहरण थी।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश की संस्कृति और कला

गुर्जर प्रतिहार वंश ने कला और संस्कृति को विशेष प्रोत्साहन दिया। उनके शासनकाल में मंदिर निर्माण कला अपने चरम पर थी। कन्नौजउज्जैन, और मंदसोर जैसे शहर कला और संस्कृति के प्रमुख केंद्र थे।

Rajasthan History Topic :मंदिर वास्तुकला

गुर्जर प्रतिहार वंश के समय में निर्मित मंदिर वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन मंदिरों में खजुराहो के मंदिरओसियां के मंदिर, और बाड़ोली के मंदिर प्रमुख हैं। इन मंदिरों की नक्काशी और शिल्पकला आज भी लोगों को आकर्षित करती है।

Rajasthan History Topic :साहित्य और शिक्षा

गुर्जर प्रतिहार शासकों ने साहित्य और शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया। उनके दरबार में कई विद्वान और कवि थे। राजशेखर जैसे प्रसिद्ध कवि ने महेंद्रपाल प्रथम के दरबार में रहकर कई ग्रंथों की रचना की।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश का पतन

10वीं शताब्दी के अंत तक गुर्जर प्रतिहार वंश का पतन शुरू हो गया। इसके कई कारण थे:

  1. आंतरिक कलह: शासकों के बीच आपसी संघर्ष और सामंतों की स्वार्थपरता ने साम्राज्य को कमजोर कर दिया।
  2. बाहरी आक्रमण: राष्ट्रकूट और पाल वंश के साथ लगातार संघर्ष ने साम्राज्य को कमजोर बना दिया।
  3. आर्थिक समस्याएँ: लगातार युद्धों और प्रशासनिक अक्षमता के कारण आर्थिक स्थिति खराब हो गई।
  4. नए शक्तियों का उदय: 10वीं शताब्दी में चालुक्य, परमार, और चौहान जैसे नए वंशों का उदय हुआ, जिन्होंने प्रतिहार साम्राज्य को चुनौती दी।

11वीं शताब्दी तक गुर्जर प्रतिहार वंश का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश की विरासत

गुर्जर प्रतिहार वंश ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल भारत को अरब आक्रमणकारियों से बचाया, बल्कि कला, संस्कृति, और साहित्य को भी प्रोत्साहित किया। उनके द्वारा निर्मित मंदिर और स्मारक आज भी उनकी महानता की गवाही देते हैं।

Rajasthan History Topic :सामाजिक व्यवस्था

गुर्जर प्रतिहार वंश के समय में समाज मुख्य रूप से वर्णाश्रम व्यवस्था पर आधारित था। समाज चार वर्णों—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र—में विभाजित था। हालाँकि, इस काल में जाति व्यवस्था काफी लचीली थी, और समाज में विभिन्न समुदायों के बीच सहयोग और सहअस्तित्व देखने को मिलता था।

  • ब्राह्मण: ब्राह्मणों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था। वे शिक्षा, धर्म, और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
  • क्षत्रिय: क्षत्रिय वर्ग शासन और सैन्य सेवाओं से जुड़ा था। गुर्जर प्रतिहार स्वयं क्षत्रिय वर्ग से थे।
  • वैश्य: वैश्य वर्ग व्यापार और कृषि से जुड़ा था। इस काल में व्यापार और वाणिज्य काफी फल-फूल रहा था।
  • शूद्र: शूद्र वर्ग मुख्य रूप से सेवा और शिल्प कार्यों में लगा हुआ था।

इसके अलावा, समाज में जनजातियों और अन्य समुदायों का भी महत्वपूर्ण स्थान था। गुर्जर प्रतिहार शासकों ने इन समुदायों को भी अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया और उन्हें संरक्षण प्रदान किया।


Rajasthan History Topic :आर्थिक व्यवस्था

गुर्जर प्रतिहार वंश के समय में आर्थिक व्यवस्था काफी मजबूत थी। कृषि, व्यापार, और उद्योग मुख्य आर्थिक गतिविधियाँ थीं।

1. कृषि

कृषि आय का मुख्य स्रोत थी। गुर्जर प्रतिहार शासकों ने कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए सिंचाई के साधनों का विकास किया। नहरों, कुओं, और तालाबों का निर्माण कराया गया, जिससे किसानों को सिंचाई की सुविधा मिली।

2. व्यापार और वाणिज्य

गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य में व्यापार और वाणिज्य काफी फल-फूल रहा था। मुख्य व्यापारिक मार्गों पर स्थित शहर जैसे कन्नौज, उज्जैन, और मंदसोर व्यापार के प्रमुख केंद्र थे। इन शहरों में विभिन्न प्रकार के सामानों का व्यापार होता था, जैसे कपड़े, आभूषण, मसाले, और धातु उत्पाद।

3. कर व्यवस्था

गुर्जर प्रतिहार शासकों ने एक व्यवस्थित कर प्रणाली लागू की थी। किसानों से भूमि कर, व्यापारियों से व्यापार कर, और शिल्पकारों से शिल्प कर वसूला जाता था। कर की दरें उचित थीं, जिससे आम जनता पर अत्यधिक बोझ नहीं पड़ता था।


Rajasthan History Topic :धार्मिक स्थिति

गुर्जर प्रतिहार वंश के समय में धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का वातावरण था। शासकों ने हिंदू धर्म को संरक्षण दिया, लेकिन अन्य धर्मों के प्रति भी उदारता बरती।

1. हिंदू धर्म

गुर्जर प्रतिहार शासक हिंदू धर्म के अनुयायी थे और उन्होंने विष्णु, शिव, और देवी की पूजा को प्रोत्साहित किया। उनके शासनकाल में कई मंदिरों का निर्माण हुआ, जो हिंदू वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

2. जैन धर्म

जैन धर्म को भी गुर्जर प्रतिहार शासकों का संरक्षण प्राप्त था। उनके शासनकाल में कई जैन मंदिरों और मठों का निर्माण हुआ। जैन विद्वानों और साधुओं को दरबार में सम्मानित स्थान प्राप्त था।

3. बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भी इस काल में फल-फूल रहा था, हालाँकि इसका प्रभाव हिंदू और जैन धर्म की तुलना में कम था। बौद्ध विहारों और स्तूपों का निर्माण हुआ, और बौद्ध विद्वानों को भी संरक्षण मिला।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश का ऐतिहासिक महत्व

गुर्जर प्रतिहार वंश ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

Rajasthan History Topic :1. अरब आक्रमणकारियों को रोकना

गुर्जर प्रतिहार शासकों ने अरब आक्रमणकारियों को कई बार पराजित किया और भारत को उनके आतंक से बचाया। इससे भारतीय संस्कृति और धर्म को सुरक्षित रखने में मदद मिली।

Rajasthan History Topic :2. कला और संस्कृति को प्रोत्साहन

गुर्जर प्रतिहार शासकों ने कला, साहित्य, और वास्तुकला को प्रोत्साहित किया। उनके शासनकाल में निर्मित मंदिर और स्मारक आज भी भारतीय कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

Rajasthan History Topic :3. प्रशासनिक व्यवस्था

गुर्जर प्रतिहार शासकों ने एक व्यवस्थित और कुशल प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की, जो बाद के शासकों के लिए एक आदर्श बनी।

Rajasthan History Topic :4. सांस्कृतिक समन्वय

गुर्जर प्रतिहार शासकों ने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच समन्वय स्थापित किया। उनके शासनकाल में हिंदू, जैन, और बौद्ध धर्म सहअस्तित्व में रहे।


Rajasthan History Topic :गुर्जर प्रतिहार वंश की विरासत

गुर्जर प्रतिहार वंश की विरासत आज भी भारतीय इतिहास और संस्कृति में देखी जा सकती है। उनके द्वारा निर्मित मंदिर, स्मारक, और कला के नमूने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर हैं। उनकी वीरता, प्रशासनिक कुशलता, और सांस्कृतिक योगदान को आज भी याद किया जाता है।


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