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RAJASTHAN HISTORY GK TOPIC WISE TEST 04 : प्रमुख राजवंश, चौहान वंश

RAJASTHAN HISTORY

RAJASTHAN HISTORY : प्रमुख राजवंश, चौहान वंश : राजस्थान इतिहास सामान्य ज्ञान – सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए उपयोगी

अगर आप राजस्थान की सरकारी भर्तियों की तैयारी कर रहे हैं, तो राजस्थान इतिहास से जुड़े प्रश्न आपकी परीक्षा में जरूर पूछे जाते हैं। खासकर RPSC, RSMSSB, REET, Patwar, VDO, Rajasthan Police, CET (12th और स्नातक स्तर) जैसी परीक्षाओं में इतिहास विषय का एक महत्वपूर्ण स्थान है।

इस ब्लॉग में हम आपको राजस्थान इतिहास के महत्वपूर्ण प्रश्नों का फ्री क्विज़ उपलब्ध करा रहे हैं, जो आपको पिछले वर्ष के पेपर (Previous Year Questions) के आधार पर दिया गया है। इसके अलावा, राजस्थान इतिहास के महत्वपूर्ण टॉपिक्स, परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण भी उपलब्ध होगा।

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चौहान वंश भाग 01

RAJASTHAN HISTORY GK TOPIC WISE TEST 04 : प्रमुख राजवंश, चौहान वंश भाग 01

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1. कान्हड़देव कहाँ का शासक था ?

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2. जालौर पर सोनगरा चौहानों ने किसे पराजित कर अपना अधिकार किया?

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3. जालौर के चौहान वंश का संस्थापक कौन था?

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4. राजस्थान का प्रथम चौहान राज्य था -

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5. जालौर के चौहान शासकों में से कौनसे राजा को दिल्ली के किसी सुल्तान के आक्रमण का सामना नहीं करना पड़ा?

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6. रणथम्भौर की विजय के उपरान्त अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग को किसके अधिकार में सौंपा था?

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7. 1300 ई. में रणथम्भौर पर आक्रमण के दौरान अलाउद्दीन खिलजी का कौनसा सेनानायक मारा गया था?

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8. हम्मीर के किन दो मंत्रियों की गद्दारी से रणथम्भौर का पतन त्वरित हुआ?

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9. अलाउद्दीन के आक्रमण के समय रणथम्भौर का शासक कौन था?

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10. अलाउद्दीन खिलजी ने किस वर्ष रणथम्भौर पर अधिकार किया?

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11. रणथम्भौर का युद्ध (सन् 1301 ई.) निम्न में से किसके मध्य हुआ था?

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12. हम्मीर ने सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी के किस विद्रोही सेनापति को रणथम्भौर दुर्ग में शरण दी थी?

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13. अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया, क्योंकि-

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14. प्रथम खिलजी सुल्तान जिसने रणथम्भौर दुर्ग पर आक्रमण किया, वह था-

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15. रणथम्भौर के किस चौहान नरेश के सेनापति ने झाई (झाइन) के निकट जलालुद्दीन खिलजी को हराया था?

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16. रणथम्भौर के शासक हम्मीर चौहान की प्रथम मुठभेड़ जलालुद्दीन खिलजी की सेना से कब हुई?

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17. रणथम्भौर के शासक जिन्होंने सल्तनत के विरुद्ध प्रतिरोध किया?

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18. चौहानों की रणथम्भौर शाखा का प्रवर्तक था?

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19. पृथ्वीराज चौहान तृतीय का समकालीन चालुक्य शासक कौन था?

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20. महोबा विजय के बाद पृथ्वीराज - III ने वहाँ का प्रशासक किसे नियुक्त किया था?

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21. भण्डानकों का पूर्णतया दमन निम्न में से किसने किया था?

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22. पृथ्वीराज चौहान - III का समकालीन चन्देल शासक था?

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23. कर्पूरी देवी किस राजपूत शासक की माता थी?

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24. गौरी के आक्रमण के समय चालुक्यों को सहायता देने के विरुद्ध पृथ्वीराज तृतीय को परामर्श देने वाला मंत्री कौन था?

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25. कदम्बवास या केम्बवास किस राजा के समय उनके मुख्यमंत्री थे?

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26. पृथ्वीराज चौहान का दरबारी कवि कौन था-

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27. कौन पृथ्वीराज चौहान तृतीय का दरबारी विद्वान नहीं था-

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28. कौनसा किला महान चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने बनवाया था ?

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29. इनमें से किस वर्ष में तराइन का प्रथम युद्ध लड़ा गया था-

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30. पृथ्वीराज तृतीय और मोहम्मद गौरी के मध्य कितने युद्ध लड़े गये थे ?

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चौहान वंश

RAJASTHAN HISTORY GK TOPIC WISE TEST 04 : प्रमुख राजवंश, चौहान वंश भाग 02

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1. सुल्तान मुहम्मद गौरी को वर्ष 1191 में किसने पराजित किया, लेकिन वर्ष 1192 में वह उससे हार गया।

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2. तराईन का द्वितीय युद्ध लड़ा गया-

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3. किस चौहानवंशीय शासक ने 'प्रताप लंकेश्वर' की उपाधि धारण की थी?

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4. उस स्मारक का नाम बताएँ जिसे 1198 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक मस्जिद में परिवर्तित करवाया?

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5. 'अढ़ाई दिन का झोंपड़ा' नाम से जाना जाता था?

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6. अढ़ाई दिन का झोंपड़ा अवस्थित है-

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7. अढ़ाई दिन का झोपड़ा मूलतः था-

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8. विख्यात स्मारक 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' या तत्कालीन संस्कृत महाविद्यालय का निर्माण किसके द्वारा किया गया?

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9. किस चौहान शासक द्वारा 'जवालिपुर' को 'ज्वालापुर' परिवर्तित किया गया?

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10. किस शासक के राज्य काल में दिल्ली शिवालिक स्तंभ अभिलेख उत्कीर्ण कराया गया था?

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11. किस चाहमान (चौहान) शासक ने 12वीं शताब्दी ईस्वी में बीसलपुर की स्थापना की थी?

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12. 'हरिकेलि' संस्कृत नाटक की रचना की-

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13. विग्रहराज - IV की साहित्यिक रचना- हरिकेलि है-

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14. नाटक 'ललित विग्रहराज' की रचना की गई-

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15. चौहान शासकों में से किस शासक को बीसलदेव के नाम से भी जाना जाता है?

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16. 'ललित-विग्रहराज' के रचयिता सोमदेव किस चौहान शासक के दरबार में था ?

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17. 'कटिबन्धु / कवि बांधव' के नाम से कौनसा राजा प्रसिद्ध था ?

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18. अजमेर के पास स्थित पुष्कर में 'वराह मंदिर' का निर्माण किसने करवाया ?

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19. अजमेर के किस चौहान शासक ने शासक बनने के लिए अपने पिता की हत्या की -

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20. राजस्थान के किस चौहान शासक को जयानक द्वारा अपने 'पृथ्वीराज विजय' ग्रंथ पृथ्वी को चाँदी की मुद्राओं से भर देने का श्रेय दिया गया हैं ?

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21. श्री अजयपाल चौहान संस्थापक थे?

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22. अजमेर का संस्थापक कौन था?

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23. जयानक रचित 'पृथ्वीराज - विजय' में किस शासक ने पुष्कर पर आक्रमण करने वाले 700 चालुक्यों को मार गिराया?

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24. 'गूवक' किस वंश का शासक था?

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25. चन्दनराज की रानी 'रुद्राणी' जो पुष्कर में प्रतिदिन एक हजार दीपक जलाकर भगवान महादेव की उपासना करती थी, किस वंश से सम्बन्धित थी?

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26. चौहान शासकों की प्रारम्भिक राजधानी कौनसी थी?

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27. राजस्थान के प्राचीन शहर शाकंभरी (अब सांभर ) को सातवीं शताब्दी में किस चौहान राजा ने बसाया था?

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28. अजमेर नगर की स्थापना के पहले अजमेर के चौहानों की राजधानी कौन-सी थी ?

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29. चौहान राजवंश के संस्थापक शासक है?

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30. किस इतिहासकार ने चौहानों का ब्राह्मण वंश से उत्पन्न होना माना है?

RAJASTHAN HISTORY : राजस्थान का इतिहास और चौहान राजवंश

RAJASTHAN HISTORY : राजस्थान, जिसे “राजाओं की भूमि” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे समृद्ध और गौरवशाली इतिहास वाले राज्यों में से एक है। यहाँ के इतिहास में कई वीर राजाओं, योद्धाओं और राजवंशों ने अपनी छाप छोड़ी है। इनमें से एक प्रमुख राजवंश है चौहान राजवंश, जिसने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत में अपनी शक्ति और प्रभाव का प्रदर्शन किया। चौहान राजवंश का इतिहास वीरता, साहस, और राष्ट्रभक्ति से भरा हुआ है। इस लेख में हम चौहान राजवंश के इतिहास, उनके शासन, योगदान और उनकी विरासत के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का उदय

चौहान राजवंश का उदय 6वीं शताब्दी के आसपास हुआ माना जाता है। यह राजवंश अग्निवंशी क्षत्रियों में से एक था और इन्हें चाहमान के नाम से भी जाना जाता है। चौहानों का मूल स्थान सांभर झील के आसपास का क्षेत्र था, जो वर्तमान में राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है। चौहानों ने अपने शासनकाल में अजमेर, दिल्ली, और हांसी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर शासन किया।

चौहान राजवंश के संस्थापक के बारे में विभिन्न मत हैं, लेकिन इतिहासकारों के अनुसार, वासुदेव चौहान को इस वंश का प्रथम शासक माना जाता है। वासुदेव ने सांभर झील के आसपास के क्षेत्र में अपना शासन स्थापित किया और चौहान वंश की नींव रखी।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का विस्तार

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में धीरे-धीरे अपने क्षेत्र का विस्तार किया। 8वीं से 12वीं शताब्दी तक चौहानों ने अपने शासन को मजबूत किया और उत्तर भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की। उन्होंने न केवल राजस्थान बल्कि दिल्ली, हरियाणा, और पंजाब के कुछ हिस्सों पर भी अपना अधिकार स्थापित किया।

चौहानों का सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान था, जिसने 12वीं शताब्दी में दिल्ली और अजमेर पर शासन किया। पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने मुहम्मद गोरी के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो भारत पर आक्रमण करने वाला पहला मुस्लिम आक्रमणकारी था।

RAJASTHAN HISTORY : पृथ्वीराज चौहान: चौहान वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक

पृथ्वीराज चौहान चौहान वंश का सबसे प्रसिद्ध और वीर शासक था। उनका जन्म 1166 ईस्वी में हुआ था और वे अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के पुत्र थे। पृथ्वीराज चौहान ने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1179 ईस्वी में अजमेर और दिल्ली की गद्दी संभाली। उन्होंने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासनकाल में कई छोटे-छोटे राज्यों को अपने अधीन किया और उत्तर भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की। उन्होंने चंदेलों, गहड़वालों, और अन्य राजपूत राजाओं के साथ युद्ध लड़े और उन्हें पराजित किया। पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासनकाल में कला, साहित्य, और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। उनके दरबार में कई विद्वान और कवि थे, जिनमें चंद बरदाई प्रमुख थे।

RAJASTHAN HISTORY : तराइन का युद्ध

पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल का सबसे महत्वपूर्ण घटना तराइन का युद्ध था। यह युद्ध पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के बीच लड़ा गया था। मुहम्मद गोरी ने भारत पर आक्रमण करने का प्रयास किया और पृथ्वीराज चौहान से युद्ध किया। पहले तराइन का युद्ध 1191 ईस्वी में हुआ, जिसमें पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को पराजित किया। लेकिन दूसरे तराइन का युद्ध 1192 ईस्वी में हुआ, जिसमें मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया और उन्हें बंदी बना लिया।

इस युद्ध के बाद पृथ्वीराज चौहान को मुहम्मद गोरी के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा और उन्हें मार दिया गया। इसके साथ ही चौहान वंश का शासन समाप्त हो गया और उत्तर भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ी।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का पतन

तराइन के युद्ध के बाद चौहान राजवंश का पतन हो गया। पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद चौहानों का शासन कमजोर हो गया और उनके साम्राज्य का विघटन हो गया। मुहम्मद गोरी ने उत्तर भारत में अपना शासन स्थापित किया और चौहानों के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। हालांकि, चौहानों के वंशजों ने अभी भी कुछ छोटे-छोटे क्षेत्रों में अपना शासन जारी रखा, लेकिन उनकी शक्ति और प्रभाव काफी कम हो गया।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश की विरासत

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में कला, साहित्य, और संस्कृति को बढ़ावा दिया। उन्होंने कई मंदिर, किले, और स्मारकों का निर्माण करवाया, जो आज भी उनकी विरासत के प्रतीक हैं। अजमेर में स्थित तारागढ़ किला और अढ़ाई दिन का झोपड़ा चौहानों के शासनकाल के दौरान बनाए गए प्रमुख स्मारक हैं।

चौहानों ने अपने शासनकाल में साहित्य और कला को भी बढ़ावा दिया। पृथ्वीराज चौहान के दरबार में कई विद्वान और कवि थे, जिनमें चंद बरदाई प्रमुख थे। चंद बरदाई ने पृथ्वीराज रासो नामक एक महाकाव्य लिखा, जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उनकी वीरता का वर्णन किया गया है।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का सांस्कृतिक योगदान

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में कला, साहित्य, और संस्कृति को बढ़ावा दिया। उन्होंने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण करवाया, जो आज भी उनकी विरासत के प्रतीक हैं। अजमेर में स्थित तारागढ़ किला और अढ़ाई दिन का झोपड़ा चौहानों के शासनकाल के दौरान बनाए गए प्रमुख स्मारक हैं।

चौहानों ने अपने शासनकाल में साहित्य और कला को भी बढ़ावा दिया। पृथ्वीराज चौहान के दरबार में कई विद्वान और कवि थे, जिनमें चंद बरदाई प्रमुख थे। चंद बरदाई ने पृथ्वीराज रासो नामक एक महाकाव्य लिखा, जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन और उनकी वीरता का वर्णन किया गया है।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का सैन्य योगदान

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने न केवल राजस्थान बल्कि दिल्ली, हरियाणा, और पंजाब के कुछ हिस्सों पर भी अपना अधिकार स्थापित किया। चौहानों की सेना शक्तिशाली और अनुशासित थी, जिसने कई युद्धों में विजय प्राप्त की।

पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने चंदेलों, गहड़वालों, और अन्य राजपूत राजाओं के साथ युद्ध लड़े और उन्हें पराजित किया। पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासनकाल में कला, साहित्य, और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। उनके दरबार में कई विद्वान और कवि थे, जिनमें चंद बरदाई प्रमुख थे।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का धार्मिक योगदान

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में धर्म और आध्यात्म को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने कई मंदिरों और धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया, जो आज भी उनकी विरासत के प्रतीक हैं। अजमेर में स्थित तारागढ़ किला और अढ़ाई दिन का झोपड़ा चौहानों के शासनकाल के दौरान बनाए गए प्रमुख स्मारक हैं।

चौहानों ने अपने शासनकाल में हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया और कई मंदिरों का निर्माण करवाया। उन्होंने जैन धर्म को भी समर्थन दिया और कई जैन मंदिरों का निर्माण करवाया। चौहानों के शासनकाल में धार्मिक सहिष्णुता का माहौल था और उन्होंने सभी धर्मों को समान सम्मान दिया।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का आर्थिक योगदान

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने कृषि, व्यापार, और उद्योग को प्रोत्साहित किया और अपने साम्राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। चौहानों के शासनकाल में कृषि उत्पादन बढ़ा और व्यापार में वृद्धि हुई।

चौहानों ने अपने साम्राज्य में सड़कों और यातायात के साधनों का विकास किया, जिससे व्यापार और यातायात में सुविधा हुई। उन्होंने अपने साम्राज्य में सिक्कों का प्रचलन शुरू किया, जिससे आर्थिक लेन-देन में सुविधा हुई। चौहानों के शासनकाल में आर्थिक स्थिति मजबूत थी और उनके साम्राज्य में समृद्धि थी।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का सामाजिक योगदान

चौहान राजवंश ने अपने शासनकाल में सामाजिक विकास को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित किया। चौहानों के शासनकाल में शिक्षा का प्रसार हुआ और कई विद्यालय और गुरुकुल स्थापित किए गए।

चौहानों ने अपने शासनकाल में सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया और समाज में समानता का माहौल बनाया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार दिए और सामाजिक भेदभाव को कम किया। चौहानों के शासनकाल में समाज में शांति और सद्भाव का माहौल था।

RAJASTHAN HISTORY : चौहान राजवंश का ऐतिहासिक महत्व

चौहान राजवंश का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत में अपनी शक्ति और प्रभाव का प्रदर्शन किया। चौहानों ने अपने शासनकाल में कला, साहित्य, संस्कृति, और धर्म को बढ़ावा दिया और अपने साम्राज्य की समृद्धि को बढ़ाया।

चौहान राजवंश का सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान था, जिसने मुहम्मद गोरी के खिलाफ लड़ाई लड़ी और भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। पृथ्वीराज चौहान की वीरता और साहस ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में स्थापित किया।

RAJASTHAN HISTORY :

चौहान राजवंश ने राजस्थान और उत्तर भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने शासनकाल में कला, साहित्य, संस्कृति, और धर्म को बढ़ावा दिया और अपने साम्राज्य की समृद्धि को बढ़ाया। चौहानों का सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान था, जिसने मुहम्मद गोरी के खिलाफ लड़ाई लड़ी और भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। चौहान राजवंश की विरासत आज भी राजस्थान और भारत के इतिहास में गर्व के साथ याद की जाती है।

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