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Rajasthan History Topic Mewar Test 05 : मेवाड़, गुहिल सिसोदिया वंश

Rajasthan History Topic Mewar

Rajasthan History Topic Mewar : मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश: राजस्थान के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय

Rajasthan History Topic Mewar :राजस्थान के इतिहास में मेवाड़ का गुहिल-सिसोदिया वंश एक अत्यंत गौरवशाली और प्रेरणादायक अध्याय है। यह वंश न केवल अपनी वीरता और शौर्य के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसने भारतीय इतिहास में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। मेवाड़ के इस वंश ने लंबे समय तक राजस्थान की भूमि पर शासन किया और अपनी संस्कृति, कला, साहित्य और वास्तुकला को समृद्ध किया। इस लेख में हम मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश के इतिहास, उसके प्रमुख शासकों, उनकी उपलब्धियों और योगदान को विस्तार से जानेंगे।

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मेवाड़, गुहिल सिसोदिया वंश

RAJASTHAN HISTORY GK TOPIC WISE TEST 05 : मेवाड़, गुहिल सिसोदिया वंश

1 / 50

1. सन् 1437 में मेवाड़ - मालवा युद्ध का तत्कालीन कारण क्या था?

2 / 50

2. सारंगपुर का युद्ध कब लड़ा गया था?

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3. सारंगपुर युद्ध (1437 ई.) किन राज्यों के मध्य हुआ?

4 / 50

4. कीर्ति स्तम्भ (विजय स्तम्भ) के टूटे हुए भाग का पुनर्निर्माण किसने करवाया?

5 / 50

5. महाराणा कुम्भा ने किस पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में विजय स्तम्भ का निर्माण कराया?

6 / 50

6. नौ मंजिल के विशाल 'कीर्ति स्तम्भ' को राणा कुम्भा ने अपने किस उपास्यदेव को समर्पित किया?

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7. कुम्भा द्वारा निर्मित कीर्ति स्तम्भ कितनी मंजिलों का है?

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8. चित्तौड़गढ़ में विजय स्तम्भ का निर्माण किसने करवाया था?

9 / 50

9. महाराणा कुंभा को कितने किलों के निर्माण का श्रेय प्राप्त है?

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10. राणा कुम्भा द्वारा निर्मित अचलगढ़ का किला किस स्थान पर स्थित है?

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11. वह प्रसिद्ध राजपूत राजा कौन था जिसने राजस्थान में सर्वाधिक दुर्गों का जीर्णोद्धार एवं निर्माण करवाया?

12 / 50

12. निम्न में से कौनसा दुर्ग कुंभा द्वारा निर्मित नहीं है?

13 / 50

13. राजस्थानी वास्तुकला का जनक किसे माना जाता

14 / 50

14. वह कौनसा मेवाड़ का मशहूर शासक था जिसने अचलगढ़ के किले की मरम्मत करवाई थी?

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15. कुशालमाता का भव्य मन्दिर जिसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया; स्थित है:

16 / 50

16. राणा कुम्भा को निम्नांकित वाद्ययंत्रों में किसमें दक्षता हासिल थी?

17 / 50

17. जैन विद्वान जो महाराणा कुंभा के दरबार में थे-

18 / 50

18. निम्नलिखित में से कौन सा विद्वान कुम्भा के दरबार में नहीं था?

19 / 50

19. संगीत ज्ञान के कारण कुम्भा को उपाधि प्राप्त हुई-

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20. राजगुरु, दानगुरु, हालगुरु एवं परमगुरु नामक उपाधियाँ किस शासक की थी?

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21. किस राजा को अभिनव भरताचार्य, हिन्दू सुरताण, छाप गुरु, राय रायन एवं दान गुरु की उपाधियों से जाना जाता है?

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22. कौन सा ग्रन्थ कुम्भा की रचना नहीं है?

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23. शिल्प शास्त्री मंडन द्वारा लिखित ग्रंथ कौनसा नहीं है?

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24. शिल्प शास्त्री मण्डन द्वारा रचित ग्रन्थ 'रूप मण्डन' का सम्बन्ध किस विषय से हैं?

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25. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रन्थ कुम्भा द्वारा रचित नहीं है?

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26. निम्न में कुम्भा द्वारा रचित ग्रन्थ है?

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27. महाराणा कुम्भा द्वारा रचित ग्रंथ 'संगीत राज' कितने कोषों में विभक्त हैं?

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28. महाराणा कुम्भा के विषय में निम्नांकित में से कौन- सा कथन असत्य है?

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29. कौन-सा ग्रन्थ कुम्भा द्वारा रचित नहीं है?

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30. 'नृत्य रत्न कोष' की रचना किसने की?

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31. संगीत पर लिखे गए निम्नलिखित ग्रंथों में से कौन से राणा कुम्भा द्वारा रचित है? 1.संगीतराज 2.संगीत मीमांसा 3.सुधा प्रबंध 4. कलानिधि

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32. निम्नलिखित शासकों में से सबसे अधिक किसे मेवाड़ की बौद्धिक व कलात्मक उन्नति का श्रेय जाता है?

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33. सुधा प्रबन्ध’ के लेखक कौन हैं?

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34. मेवाड़ के किस शासक के समय जावर में चाँदी की खान से खनन प्रारम्भ हुआ?

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35. ‘विषम घाटी पंचानन’ की संज्ञा मेवाड़ के किस शासक को दी गई थी?

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36. निम्नलिखित में से कौन सिसोदिया वंश के पूर्वज बने थे?

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37. 1303 में चित्तौड़ विजय के बाद अलाउद्दीन ने चित्तौड़ का नया नाम क्या रखा?

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38. गोरा और बादल ने किसकी रक्षा की थी?

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39. 1303 ई. में सेनानायक गोरा और बादल किसकी सेना से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए?

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40. वह राजपूत रानी जिसने अलाउद्दीन खिलजी के 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ पर कब्जा करने पर जौहर कर लिया था, थी?

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41. 1303 ई. में चित्तौड़गढ़ अभियान के दौरान जो मुस्लिम इतिहासकार अलाउद्दीन खिलजी के साथ गया था, वह था -

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42. किस रचना में अमीर खुसरो ने चित्तौड़ पर अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का वर्णन किया है?

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43. अलाउद्दीन खिलजी और मेवाड़ वासियों के बीच चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी किस वर्ष हुई थी?

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44. जैत्रसिंह था-

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45. निम्नलिखित में से कौन-सा कालानुक्रम की दृष्टि से सही है?

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46. चित्तौड़ का राणा रत्नसिंह किस वंश का था?

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47. 734 ई. तक राजस्थान में मौर्य वंश का शासक कौन था जो बाद में बप्पा रावल द्वारा मारा गया था ?

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48. गुहिल वंश का पहला शासक कौन था?

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49. बप्पा रावल का मूल नाम था ?

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50. नैणसी की ख्यात में गुहिलों की कितनी शाखाओं का उल्लेख किया हैं ?


Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश का उदय

  1. गुहिल वंश की स्थापना:
    • मेवाड़ के गुहिल वंश की स्थापना 6वीं शताब्दी में हुई। इस वंश का संस्थापक गुहिल था, जिसने मेवाड़ क्षेत्र में अपना शासन स्थापित किया।
    • गुहिल वंश के शासकों ने मेवाड़ को एक स्वतंत्र और शक्तिशाली राज्य के रूप में स्थापित किया।
  2. सिसोदिया वंश का उदय:
    • गुहिल वंश के बाद सिसोदिया वंश का उदय हुआ। सिसोदिया वंश का संस्थापक राणा हम्मीर सिंह था, जिसने 14वीं शताब्दी में मेवाड़ को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
    • सिसोदिया वंश ने मेवाड़ को एक शक्तिशाली और स्वाभिमानी राज्य के रूप में स्थापित किया।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश के प्रमुख शासक

1. राणा हम्मीर सिंह (1326-1364 ई.):

  • राणा हम्मीर सिंह सिसोदिया वंश के संस्थापक और मेवाड़ के महान शासक थे।
  • उन्होंने दिल्ली सल्तनत के खिलाफ संघर्ष किया और मेवाड़ की स्वतंत्रता को बहाल किया।
  • हम्मीर सिंह ने चित्तौड़गढ़ को अपनी राजधानी बनाया और मेवाड़ को एक शक्तिशाली राज्य के रूप में स्थापित किया।

2. राणा कुम्भा (1433-1468 ई.):

  • राणा कुम्भा मेवाड़ के सबसे प्रतापी शासकों में से एक थे।
  • उन्होंने मालवा, गुजरात और दिल्ली के सुल्तानों के खिलाफ सफल युद्ध लड़े।
  • कुम्भा ने कला और साहित्य को बढ़ावा दिया। उन्होंने कुम्भलगढ़ किले का निर्माण करवाया, जो भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक है।
  • उन्हें “हिंदू सुरत्राण” (हिंदुओं का सम्राट) की उपाधि से सम्मानित किया गया।

3. राणा सांगा (1509-1528 ई.):

  • राणा सांगा मेवाड़ के सबसे वीर और प्रतापी शासक थे।
  • उन्होंने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह II को हराया।
  • राणा सांगा ने खानवा का युद्ध (1527) में मुगल सम्राट बाबर के खिलाफ लड़ाई लड़ी, हालांकि वे इस युद्ध में हार गए।
  • उन्हें “हिंदूपत” (हिंदुओं का रक्षक) कहा जाता था।

4. महाराणा प्रताप (1572-1597 ई.):

  • महाराणा प्रताप मेवाड़ के सबसे लोकप्रिय और वीर शासक थे।
  • उन्होंने मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ संघर्ष किया और कभी भी उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की।
  • हल्दीघाटी का युद्ध (1576) महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच लड़ा गया। इस युद्ध में महाराणा प्रताप की वीरता ने उन्हें अमर बना दिया।
  • उन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

5. महाराणा अमर सिंह (1597-1620 ई.):

  • महाराणा अमर सिंह ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा।
  • उन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए कई युद्ध लड़े।
  • अंततः उन्होंने मुगल सम्राट जहांगीर के साथ संधि की, लेकिन मेवाड़ की स्वाभिमानी परंपरा को बनाए रखा।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश की उपलब्धियां

  1. सैन्य शक्ति:
    • मेवाड़ के शासकों ने अपनी वीरता और सैन्य कौशल से दुश्मनों को धूल चटाई।
    • राणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे शासकों ने मुगलों और अन्य शक्तिशाली शत्रुओं के खिलाफ संघर्ष किया।
  2. कला और साहित्य:
    • मेवाड़ के शासकों ने कला, साहित्य और वास्तुकला को बढ़ावा दिया।
    • राणा कुम्भा ने कई मंदिरों और किलों का निर्माण करवाया, जिनमें कुम्भलगढ़ किला प्रमुख है।
    • मेवाड़ में संगीत, नृत्य और चित्रकला का भी विकास हुआ।
  3. स्वाभिमान और स्वतंत्रता:
    • मेवाड़ के शासकों ने कभी भी विदेशी शक्तियों के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया।
    • महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कभी भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की।
  4. धार्मिक सहिष्णुता:
    • मेवाड़ के शासकों ने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाई।
    • उन्होंने सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार दिए।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश का पतन

  1. मुगलों का दबाव:
    • मुगल सम्राट अकबर और उनके उत्तराधिकारियों ने मेवाड़ पर लगातार दबाव बनाया।
    • महाराणा प्रताप के बाद मेवाड़ की शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी।
  2. आंतरिक कलह:
    • मेवाड़ के शासकों के बीच आंतरिक कलह और विवादों ने राज्य को कमजोर किया।
  3. अंग्रेजों का प्रभाव:
    • 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने मेवाड़ पर अपना प्रभाव बढ़ाया
    • अंततः मेवाड़ ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया।

Rajasthan History Topic Mewar : मेवाड़ की प्रशासनिक व्यवस्था

  1. राजपूत शासन प्रणाली:
    • मेवाड़ में राजपूत शासन प्रणाली थी, जिसमें राजा सर्वोच्च शासक होता था।
    • राजा को “महाराणा” की उपाधि दी जाती थी, जो उनके सम्मान और गौरव को दर्शाती थी।
  2. सामंत प्रथा:
    • मेवाड़ में सामंत प्रथा प्रचलित थी। सामंत राजा के प्रति वफादार होते थे और युद्ध के समय उनकी सहायता करते थे।
    • सामंतों को जागीरें दी जाती थीं, जिनसे वे अपना खर्च चलाते थे।
  3. प्रशासनिक विभाजन:
    • मेवाड़ राज्य को कई प्रशासनिक इकाइयों में बांटा गया था, जिन्हें “परगना” या “तहसील” कहा जाता था।
    • प्रत्येक परगना का प्रशासन एक अधिकारी के हाथों में होता था, जिसे “परगनेट” कहा जाता था।
  4. न्याय व्यवस्था:
    • मेवाड़ में न्याय व्यवस्था निष्पक्ष और सुदृढ़ थी।
    • राजा स्वयं न्याय करता था और गंभीर मामलों में उसकी सलाह के लिए एक परिषद होती थी।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ की सामाजिक-आर्थिक स्थिति

  1. सामाजिक संरचना:
    • मेवाड़ की सामाजिक संरचना में राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य और शूद्र वर्ग शामिल थे।
    • राजपूत समाज में सबसे ऊंचे स्थान पर थे और वे युद्ध और शासन के कार्यों में लगे रहते थे।
  2. आर्थिक स्थिति:
    • मेवाड़ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी।
    • किसानों को राज्य की ओर से सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान की जाती थीं।
    • व्यापार और वाणिज्य भी फल-फूल रहा था। मेवाड़ के व्यापारी अन्य राज्यों के साथ व्यापार करते थे।
  3. सैन्य व्यवस्था:
    • मेवाड़ की सेना में राजपूत योद्धाओं का वर्चस्व था।
    • सेना में घुड़सवार, पैदल सैनिक और हाथी शामिल थे।
    • मेवाड़ की सेना अपनी वीरता और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थी।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ का सांस्कृतिक योगदान

  1. कला और वास्तुकला:
    • मेवाड़ के शासकों ने कला और वास्तुकला को बहुत प्रोत्साहन दिया।
    • राणा कुम्भा ने कुम्भलगढ़ किले का निर्माण करवाया, जो भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक है।
    • चित्तौड़गढ़ किला, कुम्भलगढ़ किला और रणकपुर जैन मंदिर मेवाड़ की वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  2. साहित्य और संगीत:
    • मेवाड़ के शासकों ने साहित्य और संगीत को भी बढ़ावा दिया।
    • राणा कुम्भा स्वयं एक विद्वान और संगीतज्ञ थे। उन्होंने “संगीत राज” नामक ग्रंथ की रचना की।
    • मेवाड़ में संस्कृत और राजस्थानी साहित्य का विकास हुआ।
  3. धार्मिक सहिष्णुता:
    • मेवाड़ के शासकों ने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाई।
    • उन्होंने सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार दिए और धार्मिक स्थलों का निर्माण करवाया।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ के पतन के कारण

  1. मुगलों का दबाव:
    • मुगल सम्राट अकबर और उनके उत्तराधिकारियों ने मेवाड़ पर लगातार दबाव बनाया।
    • महाराणा प्रताप के बाद मेवाड़ की शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी।
  2. आंतरिक कलह:
    • मेवाड़ के शासकों के बीच आंतरिक कलह और विवादों ने राज्य को कमजोर किया।
  3. अंग्रेजों का प्रभाव:
    • 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने मेवाड़ पर अपना प्रभाव बढ़ाया।
    • अंततः मेवाड़ ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया।

Rajasthan History Topic Mewar :मेवाड़ गुहिल-सिसोदिया वंश की विरासत

  1. स्वाभिमान और वीरता:
    • मेवाड़ के शासकों ने स्वाभिमान और वीरता की एक अद्भुत मिसाल कायम की।
    • महाराणा प्रताप और राणा सांगा जैसे शासकों ने मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
  2. सांस्कृतिक समृद्धि:
    • मेवाड़ ने कला, साहित्य और वास्तुकला को समृद्ध किया।
    • मेवाड़ की वास्तुकला और संगीत आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
  3. धार्मिक सहिष्णुता:
    • मेवाड़ के शासकों ने सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाई और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दिया।

Rajasthan History Topic Mewar : राजस्थान राज्य सरकार की सभी भर्तियो की जानकारी के लिए अधिकारिक साईट पर चेक करते रहें

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