अक्षांश, देशांतर, पृथ्वी की गतियां, वायुदाब एवं पवनें: प्रस्तावना
REET 2ND LEVEL TOPIC : पृथ्वी एक गतिशील ग्रह है, जिसकी विभिन्न भौगोलिक और खगोलीय घटनाएं मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) पृथ्वी पर स्थानों की सटीक स्थिति निर्धारित करते हैं, जबकि पृथ्वी की गतियां (Earth’s Movements) मौसम, जलवायु और दिन-रात की घटनाओं को नियंत्रित करती हैं। वायुदाब (Air Pressure) और पवनें (Winds) वायुमंडलीय परिसंचरण का हिस्सा हैं, जो जलवायु और मौसम को प्रभावित करते हैं। इस लेख में हम इन सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
REET 2ND LEVEL TOPIC :अक्षांश और देशांतर
REET 2ND LEVEL TOPIC :अक्षांश (Latitude)
अक्षांश पृथ्वी की सतह पर किसी स्थान की उत्तरी या दक्षिणी स्थिति को दर्शाता है। यह भूमध्य रेखा (Equator) से मापा जाता है, जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में विभाजित करती है: उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) और दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere)। अक्षांश को डिग्री (°), मिनट (‘) और सेकंड (“) में मापा जाता है।
REET 2ND LEVEL TOPIC :अक्षांश की मुख्य विशेषताएं:
- भूमध्य रेखा (0° अक्षांश): यह पृथ्वी का सबसे बड़ा वृत्त है और इसे शून्य डिग्री अक्षांश माना जाता है।
- उत्तरी ध्रुव (90° उत्तरी अक्षांश): यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे उत्तरी बिंदु है।
- दक्षिणी ध्रुव (90° दक्षिणी अक्षांश): यह दक्षिणी गोलार्ध का सबसे दक्षिणी बिंदु है।
- कर्क रेखा (23.5° उत्तरी अक्षांश): यह उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और सूर्य की उत्तरायण सीमा को दर्शाती है।
- मकर रेखा (23.5° दक्षिणी अक्षांश): यह दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है और सूर्य की दक्षिणायन सीमा को दर्शाती है।
REET 2ND LEVEL TOPIC :देशांतर (Longitude)
देशांतर पृथ्वी की सतह पर किसी स्थान की पूर्वी या पश्चिमी स्थिति को दर्शाता है। यह प्रधान मध्याह्न रेखा (Prime Meridian) से मापा जाता है, जो ग्रीनविच, लंदन से गुजरती है और इसे शून्य डिग्री देशांतर माना जाता है। देशांतर भी डिग्री (°), मिनट (‘) और सेकंड (“) में मापा जाता है।
REET 2ND LEVEL TOPIC :देशांतर की मुख्य विशेषताएं:
- प्रधान मध्याह्न रेखा (0° देशांतर): यह ग्रीनविच, लंदन से गुजरती है और पृथ्वी को पूर्वी और पश्चिमी गोलार्ध में विभाजित करती है।
- 180° देशांतर: यह अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) के रूप में जानी जाती है और यह प्रधान मध्याह्न रेखा के विपरीत दिशा में स्थित है।
- पूर्वी देशांतर: प्रधान मध्याह्न रेखा से पूर्व की ओर 0° से 180° तक मापा जाता है।
- पश्चिमी देशांतर: प्रधान मध्याह्न रेखा से पश्चिम की ओर 0° से 180° तक मापा जाता है।
REET 2ND LEVEL TOPIC :पृथ्वी की गतियां
पृथ्वी की दो मुख्य गतियां हैं: घूर्णन (Rotation) और परिक्रमण (Revolution)।
REET 2ND LEVEL TOPIC : 1. घूर्णन (Rotation)
पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। यह गति दिन और रात का कारण बनती है। पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है, जिसे एक दिन कहा जाता है।
घूर्णन के प्रभाव:
- दिन और रात का चक्र।
- समय क्षेत्रों का निर्माण।
- कोरिओलिस बल (Coriolis Force) का उत्पन्न होना, जो पवनों और महासागरीय धाराओं की दिशा को प्रभावित करता है।
REET 2ND LEVEL TOPIC : 2. परिक्रमण (Revolution)
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा करती है। यह गति मौसमों के परिवर्तन का कारण बनती है। पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 365.25 दिन लगते हैं, जिसे एक वर्ष कहा जाता है।
परिक्रमण के प्रभाव:
- मौसमों का परिवर्तन।
- वर्ष की लंबाई।
- विभिन्न अक्षांशों पर सूर्य की किरणों का कोण बदलना।
REET 2ND LEVEL TOPIC : वायुदाब (Air Pressure)
वायुदाब वायुमंडल में हवा के द्वारा डाला गया दबाव है। यह समुद्र तल पर सबसे अधिक होता है और ऊंचाई के साथ घटता जाता है। वायुदाब को मिलीबार (mb) या पास्कल (Pa) में मापा जाता है।
वायुदाब के प्रकार:
- उच्च वायुदाब (High Pressure): यह तब होता है जब हवा ठंडी और भारी होती है। उच्च वायुदाब वाले क्षेत्रों में मौसम साफ और शुष्क होता है।
- निम्न वायुदाब (Low Pressure): यह तब होता है जब हवा गर्म और हल्की होती है। निम्न वायुदाब वाले क्षेत्रों में मौसम बादलों और वर्षा से भरा होता है।
वायुदाब के प्रभाव:
- मौसम का निर्धारण।
- पवनों की दिशा और गति।
- महासागरीय धाराओं का निर्माण।
REET 2ND LEVEL TOPIC : पवनें (Winds)
पवनें वायुमंडल में हवा की गति हैं, जो वायुदाब के अंतर के कारण उत्पन्न होती हैं। पवनें उच्च वायुदाब वाले क्षेत्र से निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर चलती हैं।
पवनों के प्रकार:
- स्थायी पवनें (Permanent Winds): ये पवनें वर्ष भर एक ही दिशा में चलती हैं, जैसे व्यापारिक पवनें (Trade Winds), पछुआ पवनें (Westerlies), और ध्रुवीय पवनें (Polar Winds)।
- मौसमी पवनें (Seasonal Winds): ये पवनें मौसम के अनुसार अपनी दिशा बदलती हैं, जैसे मानसूनी पवनें (Monsoon Winds)।
- स्थानीय पवनें (Local Winds): ये पवनें स्थानीय कारकों के कारण उत्पन्न होती हैं, जैसे लू (Loo), चिनूक (Chinook), और बोरा (Bora)।
पवनों के प्रभाव:
- मौसम और जलवायु को प्रभावित करना।
- महासागरीय धाराओं को नियंत्रित करना।
- मानव जीवन और कृषि को प्रभावित करना।
REET 2ND LEVEL TOPIC :
अक्षांश और देशांतर पृथ्वी पर स्थानों की सटीक स्थिति निर्धारित करते हैं, जबकि पृथ्वी की गतियां मौसम, जलवायु और दिन-रात की घटनाओं को नियंत्रित करती हैं। वायुदाब और पवनें वायुमंडलीय परिसंचरण का हिस्सा हैं, जो जलवायु और मौसम को प्रभावित करते हैं। इन सभी घटनाओं की समझ हमें पृथ्वी की संरचना और इसके विभिन्न घटकों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।
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